भगवद् गीता एक प्राचीन धार्मिक ग्रंथ है जिसे महाभारत के महाभीष्म पर्व के अंतर्गत संजय के मुख से अर्जुन को श्रीकृष्ण द्वारा उपदेश के रूप में दिया गया था। भगवद् गीता में 18 अध्याय और 700 श्लोक होते हैं। इसमें विभिन्न धार्मिक, तात्कालिक, और मानवीय मुद्दों पर विचार किए गए हैं। इसमें संसार के स्वरूप, कर्म और भक्ति के मार्ग, ज्ञान की महत्ता, आत्मा और ब्रह्म के संबंध, संसार में सही रीति से जीने के उपाय आदि विभिन्न ज्ञान की बातें हैं।
यहां भगवद् गीता की 9 ज्ञान की बातें हैं
- विवेक की प्राप्ति (अध्याय 2): अर्जुन को समझाया जाता है कि वह अपने कर्तव्य को समझें और धर्मसंबंधी युद्ध में खड़ा होने से भाग्यशाली होगा।
- कर्मयोग का सिद्धांत (अध्याय 3): धर्मयुद्ध में समर्पण के माध्यम से सही कर्मयोग का सिद्धांत समझाया जाता है।
- भक्तियोग का महत्त्व (अध्याय 9): श्रद्धा और भक्ति से भगवान के प्रति अनन्य भाव से सेवा करने की महत्ता बताई जाती है।
- स्वाध्याय का महत्त्व (अध्याय 13): स्वाध्याय या आत्म-संवीक्षण के माध्यम से आत्मज्ञान की प्राप्ति का महत्त्व बताया जाता है।
- ज्ञान के गुण (अध्याय 14): सत्त्व, रजस, और तमस के गुणों के प्रभाव को समझाया जाता है।
- सांख्ययोग (अध्याय 18): विविध प्रकार के साधनों और योगों के माध्यम से श्रेष्ठतम धर्म का चयन करने के उपाय के बारे में बताया जाता है।
- समष्टि और व्यष्टि के संबंध (अध्याय 15): संसार और आत्मा के संबंध को समझाया जाता है।
- श्रद्धा की महिमा (अध्याय 17): मनुष्य के मन में किए जाने वाले धार्मिक कार्यों के पीछे श्रद्धा का महत्त्व बताया जाता है।
- आत्म-नियंत्रण का महत्त्व (अध्याय 18): मन, इंद्रियों, और बुद्धि को नियंत्रित करके अपने अंतरंग को परिपूर्ण करने की महत्ता बताई जाती है।
Leave a Reply