हरतालिका तीज की पूजा की विधि:
हरतालिका तीज पूजा विधि निम्नलिखित रूप से होती है।
सामग्री:
- मूर्ति या चित्रित माँ पार्वती और भगवान शिव की
- एक थाली
- आभूषण, चंदन, कुमकुम, हल्दी, कलवा, सिंदूर, अक्षता, फूल, पुष्पमाला, बत्ती, दीपक, धूप, अगरबत्ती, कपूर, नारियल, दूध, घी, चावल, शक्कर, फल, पानी।
- पूजा पात्र (कलश और लोटा)
- पूजा की पुस्तक और आरती की थाली
पूजा विधि:
- सुबह जल्दी उठकर नहाकर साफ-सुथरे कपड़े पहनें और ईश्वर की आराधना के लिए तैयार हो जाएं।
- पूजा स्थल को सजाएं और उसमें माँ पार्वती और भगवान शिव की मूर्ति या चित्रित को स्थान दें।
- पूजा थाली पर दीपक, धूप, अगरबत्ती, कपूर, कलवा, अक्षता, सिंदूर, चंदन, कुमकुम, अभिषेक करने के लिए जल और नारियल रखें।
- शुद्ध भाव से माँ पार्वती और भगवान शिव की पूजा करें। उन्हें फूल, पुष्पमाला, चावल, घी, शक्कर, फल, पानी आदि से अर्चना करें।
- माँ पार्वती और भगवान शिव का व्रत कथा सुनें और उन्हें खुश करने के लिए आरती गाएं।
- व्रत कथा समाप्त होने पर चावल, घी, शक्कर और फल का प्रसाद चढ़ाएं।
- आपात स्थितियों में अन्नदान करें और गरीबों को धन देने का संकल्प लें।
- पूजा के बाद, व्रत धारण करके सुख-शांति की कामना करें।
यहीं तक विधि ज्ञात करने के लिए हैं। ध्यान रहे कि हरतालिका तीज पूजा की विधि भक्ति और विश्वास के साथ की जानी चाहिए।
हरतालिका तीज व्रत कथा
प्राचीन काल में एक राजा रत्नसेन नामक था, जो मिथिला नामक राज्य के राजा थे। रत्नसेन की रानी का नाम धीरा था और वह एक सच्ची भक्त थीं माता पार्वती की। वह सभी धार्मिक व्रत और उत्सवों को बड़ी श्रद्धा भाव से मनाती थीं।
एक बार सभी देवी-देवताओं के भक्त रानी धीरा ने सोचा कि माँ पार्वती के व्रत का आयोजन करना चाहिए। उन्होंने अपनी सखी हरिता से बात की और यह निश्चय किया कि वे व्रत के लिए तैयार हो जाएंगी।
तब हरिता ने रानी को बताया कि हृतालिका तीज व्रत विशेष भक्ति और तपस्या से माँ पार्वती को समर्पित है। इस व्रत का आयोजन भगवान शिव की पत्नी पार्वती के ध्यान में किया जाता है और इससे सुख, समृद्धि, और वैभव प्राप्त होता है।
रानी धीरा ने अपनी सखी हरिता के कहने पर भक्ति भाव से हृतालिका तीज के व्रत का आयोजन किया। यह व्रत सोमवार को शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को आयोजित किया जाता है, जिसका महत्व अत्यंत उच्च है।
इस व्रत के दिन रानी धीरा ने सभी राजमहिलाएं, दासियों और नायिकाओं को राजमहल के मंदिर में एकत्रित किया और सभी ने साथ मिलकर माँ पार्वती की पूजा की। धीरा ने भगवान शिव की अनुकंपा और आशीर्वाद के लिए व्रत की पूर्ति की।
कथा के अनुसार, रानी धीरा के भक्ति भाव से किए गए हृतालिका तीज व्रत के बाद, उन्हें भगवान शिव और माँ पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त हुआ और उन्हें एक सुन्दर बेटी का वरदान मिला। इसलिए, हृतालिका तीज व्रत महिलाओं के लिए उनके पति और संतान की लंबी आयु और खुशियों की कामना का प्रतीक है।
इस तरह, हृतालिका तीज व्रत महिलाओं के लिए एक विशेष और महत्वपूर्ण व्रत है, जो भक्ति और आस्था के साथ माँ पार्वती और भगवान शिव की पूजा करती है।
Leave a Reply