बिहार दिवस का आयोजन हर साल 22 मार्च को बिहार राज्य के स्थापना दिवस के रूप में किया जाता है, क्योंकि बिहार 22 मार्च 1912 को एक अलग प्रांत के रूप में ब्रिटिश भारत से अलग हो गया था। इससे पहले बिहार बंगाल प्रांत का हिस्सा था।
अलगाव की प्रक्रिया: 1905 में, ब्रिटिश भारत सरकार ने बंगाल प्रांत को दो हिस्सों में विभाजित कर दिया – पूर्वी और पश्चिमी बंगाल। इसका उद्देश्य था कि बंगाल के हिन्दू और मुस्लिम जनसंख्या के बीच समस्याओं का समाधान किया जा सके, लेकिन यह निर्णय जनसामान्य के बीच विरोध का कारण बन गया।
इस विभाजन के खिलाफ बिहार के लोगों ने बड़ी आपत्ति और प्रदर्शन किया। वे मानते थे कि यह विभाजन उनके सांस्कृतिक और आर्थिक संबंधों को प्रभावित करेगा।
बिहार का अलगाव: बंगाल के विभाजन के परिणामस्वरूप, बिहार 22 मार्च 1912 को अलग प्रांत के रूप में ब्रिटिश
भारत से अलग हो गया। यह नया प्रांत मुख्य रूप से हिन्दी भाषी जनसंख्या के आधार पर गठित किया गया था।
बिहार का इतिहास
बिहार का इतिहास: बिहार का इतिहास बहुत प्राचीन है और इसका गहरा संवाद है। यहाँ पर बौद्ध और जैन धर्म के महावीर और गौतम बुद्ध जैसे महापुरुषों का जन्म हुआ था। बिहार का नाम विहार से आया है, क्योंकि यह धार्मिक स्थलों का केंद्र रहा है।
विभिन्न गुप्त और पाल राजवंशों के अधीन, बिहार एक सांस्कृतिक और शिक्षात्मक केंद्र बना रहा। नालंदा, विक्रमशिला, आरा, और उनके आस-पास के क्षेत्र महत्वपूर्ण शिक्षा संस्थान थे जो विश्वभर में मशहूर थे।
बिहार ने मुघल साम्राज्य के अधीन भी आया और फिर ब्रिटिश साम्राज्य का हिस्सा बन गया। 1857 की क्रांति में भी बिहार के कई स्थलों पर विद्रोह हुआ था।
बंगाल से अलग होने के बाद, बिहार ने अपने विकास की दिशा में कई कदम उठाए और विभिन्न क्षेत्रों में विकास हुआ।
इस प्रकार, बिहार का इतिहास एक समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर से भरपूर है, जिसमें बिहार की महत्वपूर्ण भूमिका और योगदान शामिल है।
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