कभी कभी सोचती हु कितना अनोखा होता है बेटियों का संसार जहाँ जनमती है पलती है बढ़ती है वही से जड़े समेट कर कही और पनपने के लिए चली जाती है उनका अपना घर पराया हो जाता है और वे पराये घर की मालकिने बन जाती है नन्ही नन्ही कलिया देखते ही देखते एक दिन जगत जननीया बन जाती है …….
बेटी का पिता चाहे विदेश में बसा कोई बड़ा उधोग पति हो या कोई गरीब दोनों की नियती एक जैसी ही तो होती है अपनी लाडो को नाजो से पालना आशीर्वादो से सींचना और एक दिन व्याह कर विदा कर देना पर कुछ भी हो बेटियाँ तो बेटियाँ होती है न ……। माँ बाप भाई बहन हर रिश्ते के लिए बेटियों के दामन में कितना प्यार होता है घृणा होती है जान कर कि कुछ लोग बेटियों को बोझ समझते है समय बदल रहा है मुल्य बदल रहे है हर पिता अपनी बेटी के लिए ऐसे घर कि तलाश कर रहा है जहाँ उसके गुणों का सम्मान हो उसे बहु कि तरह नही बल्कि एक बेटी की नजर से देखा जाये उसे वही प्यार मिलना चाहिए जो एक बेटी को मिलता है क्यों कि जो भी हो बेटियाँ तो बेटियाँ है न ……….
“बेटी बिना नहीं सजता घरौंदा
बेटी ही है संस्कारो का परिंदा
अगर दोगे खुला आसमान तो
बेटी भी बढ़ायेगी परिवार का नाम “
यह जान कर बड़ा ही दुःख होता है कि आज के ज़माने में भी कुछ लोग ऐसे है जो आज भी बहु और बेटियों में बहुत अंतर समझते है और उन्हें दहेज़ कि लालच में जला दिया जाता है इन्ही सब कारणों कि वजह से हर पिता को आज कल उनकी बेटियाँ बोझ लगने लगी है पर जो भी हो बेटियाँ तो बेटियाँ होती है न……..
बेटियां तो वो होती है जिनका जन्म तो कही और होता है और ब्याह कर कही और चली जाती है फिर भी वो उस पराये घर को अपना बना लेती है अपने प्यार और ब्यवहार से …………….
वो ससुराल में ही अपने मायके के सारे रिश्ते को ढूँढ लेती है वो ससुर के रूप में अपने पिता को और सास के रूप में अपनी माँ को और देवर ननद में अपने भाई बहन को ढूँढ लेती है और उन्हें अपने प्यार और सरल स्वभाव से उन्हें अपना बना लेती है और क्या कहे उस खास रिश्ते के बारे में जिसके प्यार और विस्वास पर लडकिया अपने पूरे परिवार को छोड़ कर चली आती है वो एक अनमोल रिस्ता होता है उसके पति का जिसके सहारे वो अपना सब कुछ छोड़ कर चली आती है अगर जीवन में सही जीवन साथी का साथ हो तो जीवन बड़ा ही सुखमय हो जाता है और वो पति का ही रिस्ता होता है जिसके सहारे वो अपने हर रिस्ते को छोड़ कर चली आती है
शादी के बाद एक लड़की का सबसे अहम रिस्ता उसके पति का ही होता है एक लड़की अपने पति से क्या चाहती है बस थोड़ा सा प्यार ………उस थोड़े से प्यार के बदले वो अपना सब कुछ न्यच्छावर कर देती है
” दहेज में एक बहु क्या लाई ये सबने पूछा
लेकिन एक बेटी क्या क्या छोड़ आई ये किसी ने ना पूछा “
बेटियों कि कही हर बात दिल को छू जाती है क्योंकि बेटियाँ तो बेटियाँ होती है न इन बेटियों का कोई मोल नही होता है ये बेटिया तो अनमोल होती है पर कुछ लोग इन सब बातो को नहीं समझ पाते है और बेटियों के जन्म पर दुःखी हो जाते है और बेटो के जन्म पर खुशिया मनाते है पर वे ये नही जानते कि बेटिया तो घर कि लक्ष्मी होती है उनके आगमन घर में लक्ष्मी का वास होता है आज कल दहेज़ प्रथा इतनी बढ़ गई है कि एक माँ अपनी बेटी को जन्म देने से भी कतरा रही है क्योंकि वह जानती है कि जब उसकी बेटी बड़ी होगी तो उसका ब्याह रचाया जाएगा और वह उतना दहेज देने में सछम नहीं होगी जिससे उसकी बेटी को दहेज के लिए प्रताड़ित किया जायगा और एक दिन उसे जला कर मार दिया जायगा क्यों ये प्रथा दिन प्रति दिन बढ़ती ही जा रही है क्यों बेटियों को जला कर मार दिया जाता है क्या उन्हें हक़ नहीं है स्वतंत्र जीवन जीने का …क्या उन्हें हक़ नहीं है अपने लिए आवाज उठाने का …क्या हम सब मिल कर इस प्रथा को ख़त्म नही कर सकते है क्या एक बेटी को हक़ नही है इस दुनिया में आने का और अपने अनुसार जीवन जीने का ……. ? क्यों एक बेटी को जन्म से पहले ही मार दिया जाता है
” आग में जलती है हर पल बेटियाँ
खुशियों के लिए पल पल तरसती है बेटियाँ
कोई नही है जो समझे क्या चाहती है बेटियाँ
किसको बताये क्या सोचती है बेटियाँ “
एक बहुत ही अच्छी सी लाइन है जो एक माँ अपनी प्यारी सी बिटिया को सिखा कर उसे उसके ससुराल में विदा करती है जो मै आपको बताने जा रही हु ये लाइने भोजपुरी में लिखी गयी है
” बिटिया ससुरे में रहिह तु चाँद बनिके ,ससुर के बाजे जब खरउआ पानी लेके धोईह पउवा ,
सासु के चरण तु रोज दबायीह ,बिटिया सत्संग में मन लईह ,ससुर के बाजे जब …………बिटिया ससुरे में रहिह तु ………………..
एक पिता ने भी बहुत ही अच्छी सी बात कही है कि ………
” मेरा बेटा तब तक मेरा है जब तक उसको पत्नी नही मिल जाती , पर मेरी बेटी तब तक मेरी है जब तक मेरी जिंदगी ख़त्म नही हो जाती ” इन सब बातो को सुन कर एक बेटी रो कर अपने माता पिता से कहती है कि. ……
“बाबा कि रानी हु आँखों का पानी हु बह जाना है जिसे …. दो पल कहानी हु
अम्मा कि बिटिया हु आँगन कि मिटिया हु टुक टुक निहारे जो वो परदेशी चिठिया हु
ममता के आँचल में जो गीत गाये है बाबुल के सुध बुध जो सपने सजाये है
वो याद आयेंगे हर पल रुलायेंगे वो याद आयेंगे हर पल रुलायंगे ……….”
बेटियों को तो देवी का रूप माना जाता है उन्हें तकलीफ देने का हमारा कोई हक़ नही बनता है उन्हें तकलीफ देने का मतलब है देवियो का असम्मान करना।हम पहले के जमाने के जमाने कि बात करेंगे तो पहले सिर्फ लड़को को ही पढ़ाया जाता था उस वक्त लड़कियों को ज्यादा महत्व नही दिया जाता था उन्हें कहा जाता था कि उन्हें पढ़ने का कोई हक़ नही है वे सिर्फ घर का काम करती थी अब हम आज के जमाने कि बात करेंगे तो आज के जमाने में लड़कियाँ भी पढ़ाई कि उतनी ही हकदारमानी जाती है जितने कि लड़के। लड़कियों को भी पढ़ने का पूरा हक है आज के जमाने में भी कुछ लोग ऐसे है जो लड़कियों को पढ़ने से रोकते है लड़कियों को पढ़ाना बहुत जरूरी होता है हम अपने देश कि लड़कियों को पढ़ा कर हम उनकी रक्षा भी कर पायेंगे वह अगर शिक्षित होंगी तो खुद कि रक्षा कर पायेंगी इस तरह से हम उन्हें पढ़ा कर उन्हें बचा पायेंगे तो आइये हम सब मिल कर प्रण लेते है कि इस देश कि सभी बेटियों को पढ़ा कर उन्हें बचायेंगे हमारा देश और समाज काफी प्रगती कर गया है और आगे भी कर रहा है लेकिन अभी भी स्त्रियों को जितना सम्मान मिलना चाहिए उतना नही मिलता है क्युकि उन्हें उतना महत्वपूर्ण नही समझा जाता है और इसी लिए गर्भ में ही उनकी हत्या कर दी जाती है लिंग परीछड करवा के। लेकिन ऐसा नही करना चाहिए यदि आप ऐसा सोचते है कि बेटा होगा तो वो काम का होगा तो आप बहुत गलत सोचते है बेटा हो या बेटी भगवान कि इच्छा समझ कर उसे ही स्वीकार कर लेना चाहिए क्योंकि पहले से ही किसी बात का अंदाजा लगा लेना बहुत उचित नही कहा जा सकता है इसी से सम्बंधित मै एक प्रेरक प्रसंग प्रस्तुत कर रही हु जिससे आपको ऐसा लगे कि कोई किसी से कम नही बस आपने परवरिश कैसे कि है देखभाल कैसे की है सब कुछ इसी पर आधार रखता है
“कैसा है यह अजब बर्ताव
बेटा बेटी के बीच भेदभाव
पालन पोषड से पनपते है विचार
बेटी भी बन सकती है बुढ़ापे का आधार ………”
हमारे देश कि सक्रिय राजनीति में अभी भी एक परिवार खूब ही सक्रिय रूप से जुड़ा हुआ है जिसे गांधी नेहरू के नाम से जाना जाता है अब आप समझ गए होंगे कि मेरा इशारा किस ओर है जवाहरलाल नेहरू हमारे देश के प्रथम प्रधानमंत्री थे इनके पिता का नाम मोतीलाल नेहरू है जो कि वरिस्टर थे जवाहरलाल नेहरू की एक ही संतान थी जो कि पुत्री थी लेकिन हमें इतिहास में कही ऐसा नही पता चलता है कि जवाहरलाल नेहरू को कभी भी इस बात से कोई समस्या रही हो कि कोई बेटा क्यों नही हुआ क्या वो चाहते तो कोई बेटा गोद नही ले सकते थे या फिर कोई दूसरी शादी नही कर सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा नही किया भगवान ने उन्हें जो दिया इस मामले में यही कहूँगी कि उन्होंने उसे ही स्वीकार कर लिया वैसे तो अब आप समझ ही गए होंगे की मै किसकी बात कर रही हु लेकिन फिर भी नाम बता ही दू तो जवाहरलाल नेहरू को एक ही पुत्री रत्न की प्राप्ति हुई थी जिसका नाम इंदिरा गाँधी था अब मै यह विचार करती हु कि यदि जवाहरलाल नेहरू जी को पुत्री की जगह कोई पुत्र प्राप्त हुआ होता तो क्या वह इंदिरा गाँधी के जितना नाम कर पाता या फिर इतनी निदारत से फैसले ले पाता …………….
इसलिए मेरा ऐसा मानना है कि यदि आप अपने बच्चे को सही को सही से पढ़ाते लिखाते है उन्हें दुनिया का सही से परिचय कराते है उनकी समस्याओ को समझ कर के उनका समाधान करते है तो और बेटी को संकुचित दृस्टी से नही देखते है तो आपको अपनी जिंदगी में कभी भी ऐसा नही लगेगा कि हमारा कोई बेटा नही है बल्कि आपको बेटा और बेटी में अंतर दिखेगा ही नही साथ ही आपका नाम भी रौशन होगा और इस देश का भी.……।
” नये दौर को अपनाओ
अपनी सोच को पंख लगाओ
बेटी है खुशियो की चाभी
नही है किसी की बर्बादी
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
उच्च विचार में कदम बढ़ाओ “
एक बेटी ही एक अच्छी माँ बनती है एक अच्छी पत्नी बनती है और एक अच्छी बहन बनती है ये तीनो रूप एक बेटी का ही होता है फिर क्यों बेटियों को जन्म से पहले ही मार दिया जाता है जब उनका जन्म ही नही होगा तो वह कहा से एक माँ ,पत्नी और बहन बनेगी। ” जब माँ है प्यारी ,बहन दुलारी
और बीबी है पटरानी तो
क्यों करते हो बेटी से मक्कारी
जीवन है बेटी का अधिकार
शिक्षा है उनका आधार
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
अपनी सोच को आगे बढ़ाओ “
आज देश के सामने बहुत ही बड़ी समस्या आ गयी है कि लड़कियों का अनुपात लड़को की अपेक्षा बहुत ही कम होता दिखाई दे रहा है इस दिशा में काम करने के लिए हमारे देश के दो राज्यो गुजरात एवम मध्यप्रदेश सरकार ने बेटी बचाओ अभियान चलाया था जिसके अनुकूल यह परिणाम सामने आया है कि इन दोनों राज्यों में 1000 लड़को की संख्या है तो उसके साथ 880 लड़कियां भी है और हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंन्द्र मोदी ने इसे देशव्यापी स्तर पर यह योजना शुरू किया है इस योजना का नाम बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ किया गया है क्योंकि केवल बेटी को जन्म देना ही पर्याप्त नही होता है बेटियों को इस दुनिया में जीने के लिए काबिल बनाना भी माता पिता का कर्तव्य होता है अगर बेटी पढ़ी लिखी होगी तो वो अपने माता पिता का घर और अपने ससुराल दोनों परिवार को संस्कारित बना सकती है बेटियाँ केवल एक परिवार का दीपक नहीं होती है वो दो परिवारो का दीपक होती है वह दोनों परिवारो का नाम रौशन करती है बेटियों को कम आंकने वाले इंसान जरा अपनी माँ की तरफ देखो यह वही है जिसने तुम जैसे को जन्म दिया है वह भी तो एक बेटी ही न है और आज तुम्हीं उसके अस्तित्व को मिटाने चले हो ।
” बेटियाँ सब के नसीब में कहा होती है
रब को जो घर पसंद आये वहा होती है ”
“इंद्र धनुष से सजेंगे रंग
जब संग होगी बेटी की तरंग ”
“ना देना सोना चांदी ,ना ही हीरे जवाहरात
शिक्षा है अनमोल बस देना यही जीवन सौगात “